बहराइच (यूपी), 4 नवंबर (पीटीआई): अधिकारियों ने बताया कि बहराइच जिले के कतरनियाघाट वन क्षेत्र में नाव पलटने की घटना के सात दिन बाद मंगलवार दोपहर को 11 वर्षीय लड़के का शव नदी से बरामद किया गया है।
खोज और बचाव कार्य
- शवों की संख्या: इसके साथ ही बरामद हुए शवों की संख्या चार हो गई है, जबकि पांच लोग अभी भी लापता हैं।
- बरामदगी का स्थान: सुजौली पुलिस स्टेशन के एसएचओ पीसी शर्मा ने बताया कि मंगलवार को बरामद शव की पहचान भरथापुर गांव के निवासी शिवम (11) के रूप में हुई है। एनडीआरएफ टीम कमांडर धीरेंद्र सिंह ने बताया कि बच्चे का शव दुर्घटनास्थल से लगभग 10 किमी नीचे की ओर और बैराज से लगभग 5 किमी नीचे पाया गया।
- तलाशी अभियान: एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और बाढ़ पीएसी (PAC) की बचाव टीमें, स्थानीय गोताखोरों और ग्रामीणों के साथ मिलकर नदी में तलाशी अभियान जारी रखे हुए हैं।
दुर्घटना का विवरण
- घटना: 29 अक्टूबर को भरथापुर गांव के पास कौड़ियाला नदी में 22 यात्रियों को ले जा रही एक नाव पलट गई थी।
- बचाव और हताहत: उसी रात 13 लोगों को बचा लिया गया था। शेष नौ में से, रामजेई (60) नामक एक घायल महिला की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई थी।
- पहले बरामद शव: रविवार (2 नवंबर) को नाविक शिवनंदन (50) और एक महिला यात्री सुमन (28) के शव दुर्घटनास्थल से लगभग तीन से चार किलोमीटर दूर लखीमपुर जिले की सीमा के पास नदी से बरामद किए गए थे।
सरकार की सहायता और पुनर्वास योजना
- मुख्यमंत्री का दौरा: घटना के बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये के मॉडल चेक सौंपे और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
- पुनर्वास योजना: मुख्यमंत्री ने सभी विस्थापित परिवारों को एक सुरक्षित कॉलोनी में स्थानांतरित करने के लिए ₹21.55 करोड़ आवंटित करने की घोषणा की है। इस कॉलोनी का नाम उनकी पहचान को बनाए रखने के लिए भरथापुर गांव के नाम पर रखा जाएगा।
- सुविधाएं: प्रस्तावित कॉलोनी में आवास, शौचालय, जमीन के प्लॉट, स्कूल और लोगों व पशुधन दोनों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं जैसी आवश्यक सुविधाएं शामिल होंगी। अधिकारियों को विस्थापन प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है।
गांव की स्थिति
वनवासी ग्रामीणों के बीच काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, जंग हिंदुस्तानी ने बताया कि भरथापुर गांव कतरनियाघाट जंगल के एक दूरदराज के इलाके में स्थित है, जिसके 10 किमी के दायरे में कोई अन्य बस्ती नहीं है। गांव तीन तरफ से नदी से और चौथी तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है, जो मगरमच्छों, घड़ियालों और अन्य जलीय एवं जंगली जानवरों का घर है।
यह त्रासदी इस क्षेत्र के दूरदराज के गांवों में जोखिमपूर्ण जीवन शैली को उजागर करती है। क्या आप जानना चाहेंगे कि NDRF और SDRF ऐसी आपदाओं में किस प्रकार समन्वय स्थापित करते हैं?
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