नई दिल्ली, 3 नवंबर (पीटीआई): विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को वैज्ञानिकों से 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए वैश्विक मानदंडों और रणनीतियों को अपनाने का आग्रह किया।
यहां उभरती विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार कॉन्क्लेव (ESTIC) को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी, लेकिन इसे एक सक्षम वातावरण की आवश्यकता थी, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर प्रदान किया गया।
सिंह ने कहा, “भारत अब अनुयायी नहीं रहा, देश आज दूसरों को उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है। भारत अब केवल वैश्विक खिलाड़ी नहीं है, यह एक वैश्विक नायक (global protagonist) के रूप में उभर रहा है। भारत अब 20वीं सदी का पिछला भारत नहीं रहा, यह 21वीं सदी का ‘भविष्य के लिए तैयार’ मोदी का भारत है।”
मंत्री ने वैज्ञानिकों से 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए वैश्विक मानदंडों को अपनाने और वैश्विक रणनीतियों का पालन करने का आग्रह किया।
सिंह ने कहा, “सिलोस का युग समाप्त हो गया है, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच का अंतर हटा दिया गया है, और ‘संपूर्ण सरकार और संपूर्ण राष्ट्र’ (whole of government and whole of nation) आगे बढ़ने का मंत्र है।”
मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जिनकी व्यापक रूप से खोज नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में स्टार्ट-अप इंडिया, गगनयान परियोजना, बायो-ई3 और डीप ओशन मिशन जैसी पहलों की घोषणा की थी और वे सफलतापूर्वक शुरू हुई हैं।
सिंह ने कहा कि 2014 में जैव-अर्थव्यवस्था (bio economy) का मूल्य 10 बिलियन डॉलर था और एक दशक के भीतर यह 200 बिलियन डॉलर तक बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि जबकि अमेरिका चंद्रमा पर उतरने वाला पहला देश था, यह भारत का चंद्रयान था जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी खोजा, जिससे वहां मानव बस्ती की उम्मीदें बढ़ीं।
सिंह ने कहा, “आज, दुनिया ने हमें सम्मान और आदर के साथ देखना शुरू कर दिया है। मेरा मानना है कि एक दिन इतिहासकार यह भी विश्लेषण करेंगे कि इस सुखद अनुभव के लिए हमें स्वतंत्रता के बाद 70 साल तक इंतजार क्यों करना पड़ा। क्योंकि इस देश में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी।”
मंत्री ने कहा कि मोदी ने विज्ञान और नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और देश को यह एहसास कराया कि 21वीं सदी में प्रगति का मार्ग केवल विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में उपलब्धियों के माध्यम से ही संभव है। पीटीआई एसकेयू केवीके केवीके
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