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वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘गंभीर खतरा': शशि थरूर

By SwadesiNewsApp
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नई दिल्ली, 3 नवंबर (पीटीआई): कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में व्याप्त वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक “गंभीर खतरा” है, और जोर दिया कि भारत को अब “वंशवाद के बजाय योग्यतावाद (meritocracy)” को महत्व देने का समय आ गया है।

वंशवाद पर थरूर की दलीलें

  1. शासन की गुणवत्ता: उन्होंने कहा कि जब राजनीतिक शक्ति का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी जुड़ाव के बजाय वंश (lineage) से होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  2. लेख में विचार: अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन प्रोजेक्ट सिंडिकेट के लिए लिखे गए एक लेख, जिसका शीर्षक है ‘इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस’, में तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने बताया कि नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है, लेकिन वंशवादी उत्तराधिकार पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में व्याप्त है।
  3. नेहरू-गांधी वंश: थरूर ने कहा कि नेहरू-गांधी वंश का प्रभाव (जिसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसने इस विचार को भी पुख्ता किया है कि राजनीतिक नेतृत्व जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है।
  4. व्यापकता: उन्होंने तर्क दिया कि यह विचार हर पार्टी, हर क्षेत्र और संसद के उच्चतम सोपानों से लेकर ग्राम परिषदों तक भारतीय शासन के ताने-बाने में गहराई से बुना गया है।

वंशवाद के अन्य उदाहरण

थरूर ने वंशवाद के कई अन्य उदाहरणों का हवाला दिया:

  1. क्षेत्रीय दल:
  2. बीजू पटनायक के बाद उनके बेटे नवीन पटनायक
  3. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे, और अब उनके बेटे आदित्य ठाकरे
  4. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव
  5. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान के बाद उनके बेटे चिराग पासवान
  6. अन्य राज्य: जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्लाओं की तीन पीढ़ियाँ और मुफ़्तियों की दो पीढ़ियाँ। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल के बाद उनके बेटे सुखबीर। तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम पर एम करुणानिधि के परिवार का नियंत्रण।

लोकतंत्र को खतरा और समाधान

  1. गंभीर खतरा: थरूर ने जोर देकर कहा कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि यह छोटे प्रतिभा पूल से नेताओं का चयन करती है, और जिन लोगों का मुख्य योग्यता उनका उपनाम है, वे अक्सर आम लोगों की चुनौतियों से अछूते होते हैं।
  2. सुधार की आवश्यकता: उन्होंने कहा कि भारत के लिए वंशवाद को योग्यतावाद से बदलने का उच्च समय है। इसके लिए कानूनी रूप से अनिवार्य कार्यकाल सीमा लागू करने और सार्थक आंतरिक पार्टी चुनावों की आवश्यकता होगी, साथ ही मतदाताओं को योग्यता के आधार पर नेताओं का चुनाव करने के लिए शिक्षित और सशक्त बनाने का ठोस प्रयास करना होगा।

BJP की प्रतिक्रिया

  1. हमला: BJP ने थरूर की टिप्पणियों पर तुरंत हमला बोला। BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे भारतीय राजनीति के ‘पारिवारिक व्यवसाय’ बनने पर एक “बहुत ही अंतर्दृष्टिपूर्ण लेख” कहा और कटाक्ष करते हुए कहा कि थरूर ने “भारत के नेपो किड राहुल और छोटे नेपो किड तेजस्वी यादव पर सीधा हमला किया है!”
  2. गांधी परिवार पर निशाना: एक अन्य BJP प्रवक्ता सी आर केसवन ने कहा कि थरूर का लेख “नेहरू-गांधी वंश पर एक तीखा हमला” माना जा सकता है।

वंशवाद और योग्यतावाद की यह बहस भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण और आवर्ती विषय है। क्या आप जानना चाहेंगे कि भारत की प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों में आंतरिक चुनाव प्रक्रियाएँ किस प्रकार आयोजित होती हैं?

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